ललित आभार
दुनिया ने दो विश्व युद्ध देखे है। पहले विश्व युद्ध में 85 लाख लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। दूसरे विश्व युद्ध की शुरुवात 1939 में हुई, इसमें मरने वालों की आधिकारिक संख्या 7 करोड़ से अधिक थी। इन दोनों युद्धों में कुल 16 देशों ने भाग लिया। इसमें से 15 इसाई देश थे और एक मुस्लिम देश तुर्की शामिल था। दूसरा विश्व युद्ध 9 अगस्त 1945 के दिन – यानी जापान पर एटम बम गिराने वाले दिन – समाप्त हुआ।
अगर आप आकड़ों पर नज़र डालें तो एक अनुमान के मुताबिक इस्लाम ने अपने जन्म से लेकर अब तक अपने धर्म के प्रचार में दुनिया भर में 270 करोड़ लोगों की हत्या की। ईसाईयों ने पूरे यूरोप और एशिया को मिलाकर 110 करोड़ इंसानों की हत्या केवल कैथोलिक चर्च के कहने पर की, जिसमे 90 लाख महिलायें थी। दुनिया को सभ्यता का पाठ पढ़ाने वाले अमेरिका द्वारा दस करोड़ सभ्य लोगों की हत्या स्पेन के पादरियों के नेतृत्व में कर दी गयी। सोवियत संघ में स्टालिन ने 1 करोड़ से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतारा। हिटलर ने 60 लाख यहूदियों को मारा।
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अमेरिका ने 70 के दशक में लेबनान पर हमला किया। अस्सी के दशक में अफगानिस्तान पर हमला किया। नब्बे के दशक में सोमालिया पर हमला किया। वहीँ ईराक ने नब्बे के दशक में ही कुवैत पर हमला किया। 21वी शताब्दी में अमेरिका ने फिर ईराक पर हमला किया। यानि इसाई और मुस्लिम देशों ने दूसरे मुस्लिम और इसाई देशों पर अपने प्रभुत्व और व्यवसायिक हितो के लिए हमले किये और करोड़ों लोगों का खून बहाया।
मुसलमानों ने तो भारत में 7वी शताब्दी से ही हिन्दुऔं का खून बहाना शुरू कर दिया था। 80 के दशक से अकेले काश्मीर में ही 2 लाख से ज्यादा हिन्दुओ की हत्या कर दी गई।
आज इस्लाम दुनिया में सबसे ज्यादा तेज़ी से फैलता साम्प्रदाय है। मैंने कुछ साल पहले टाइम्स ऑफ़ इंडिया में एक लेख पढ़ा था। उस लेख के अनुसार 2012 में इंडोनेशिया के मुसलमानों ने वहां के ईसाईयों को इस्लाम कुबूल करने की धमकी दी और ना कबूल करने की दशा में गला काट देने को कहा गया। इसकेबाद हजारों की संख्या में ईसाईयों ने इस्लाम कूबुला। उन्हें खतना करवाना पड़ा ताकि उनकी मुस्लिम के रूप में पहचान हो सके।
अल्जीरिया के लोग सालों से इस्लामिक कट्टरपंथियों और वहां की सेना के संघर्ष में पिस रहे हैं। नाईजेरिया में मुसलमानों का खूनी संघर्ष चरम पर है। वहां ईसाईयों के चर्चो को जला दिया गया। मिस यूनिवर्स के कार्यक्रम के दौरान “This Day” नामक स्थानीय अखबार का दफ्तर इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा जला दिया गया। केन्या में वहां की लोकतान्त्रिक सरकार के विरुद्ध वहां के मुस्लिम संघठनो ने जेहाद का ऐलान किया हुआ है। सूडान में गृह युद्ध के दौरान मुसलमनो और ईसाईयों में भयंकर युद्ध हुआ और आज भी जारी है।
19वी शताब्दी के मध्य में यानी 1860 में लेबनान में वहां के ईसाईयों की हत्या मुसलमानों ने की। सत्तर के दशक में लेबनान में गृह युद्ध छिड़ गया जो नब्बे की दशक की शुरुवात में जाकर खत्म हुआ, जिसमे 1 लाख से अधिक लेबनानी मारे गए, हज़ारों औरतों का सड़कों पर बलात्कार किया गया।
उपरोक्त इन सभी युद्धों मे और मार काट करने और खून खराबा करने में केवल मुस्लमान और ईसाई देश ही शामिल थे।
लेकिन फिर भी भारत जिसने मानव सभ्यता की शुरुआत से लेकर आज तक किसी भी देश पर हमला नहीं किया, मार काट नही मचाई, खून खराबा नही किया, उसे ही आज दुनिया का सबसे “असहिष्णु” देश बताया जा रहा है और हिन्दूऔं को सबसे बड़ा “अराजकवादी” कहा जा रहा है।
मार काट मचाने वाले, खूनखराबा करने वाले, अराजकतावादी और असहिष्णु कौन हैं – इस्लामी और इसाई या सनातनी हिन्दू ? हिन्दुऔ पर झूठा इल्जाम कब तक लगाया जायेगा ? दोषी लोगों को कब तक पाक साफ बताया जायेगा ? यह ढोंग कब तक चलेगा ? इस झूठ और फरेब से कब तक दुनिया को ठगा जायेगा ? कहते हैं झूठ के पांव नही होते – लेकिन यहां तो झूठ दौड रहा है।
दुनिया को देर सबेर सच को मानना ही होगा।