महाभारत की कथा से सभी परिचित हैं। वह युद्ध ही न्याय और अन्याय की लडाई पर केन्द्रित है। मानव स्वभाव सदा से एक जैसा ही रहा है, पहले भी अच्छे और बुरे लोग होते थे और आज भी होते हैं। उन युद्धों में पहले भी गलतियां होती थी और आज भी होती हैं। हमें उनसे सबक लेना चाहिये।
महाभारत मे एक प्रस॔ग “अभिमन्यु वध” का आता है। अभिमन्यु युद्ध में अकेला पड गया था और दुश्मनो – कोरवो – के बनाये हुए चक्रव्हू में फंस गया था। वह दुश्मनो के द्वारा मार दिया गया। पान्डव न्याय की तरफ थे और कोरव अन्याय की तरफ। अभिमन्यु न्याय की तरफ से लड रहा था और वह मारा गया। एक सवाल यह है कि वह कैसे मारा गया – क्या गलतियां हुई जिनसे हमे सबक लेना चाहिये। दूसरा सवाल यह है कि आज के हमारे देश के महाभारत में कोन पान्डव है और कोन कोरव।
पहला सवाल: अभिमन्यु कैसे मारा गया?
जो लोग इस प्रसंग से परिचित हैं वे इस सवाल के जवाब में आमतोर पर गलती करते हैं। वे कहते हैं कि अभिमन्यु इस लिये मारा गया था क्योकि कौरव सेना के दर्जनों महारथियों ने उस अकेले को घेर कर मार दिया था। उन्हें उस अकेले को और निहथ्थे को दर्जनो की तादाद मे ईकठ्ठा हो कर अन्यायपूर्ण तरीके से नही मारना चाहिये था। कई लोग यह भी कहते हैं कि जब अभिमन्यु अपनी माता सुभद्रा के गर्भ मे था और उसके पिता अर्जुन चक्रव्हू तोडने की कला सुभद्रा को सुना रहे दे तो सुभद्रा को नीन्द आ गई और अभिमन्यु चक्रव्वहू तोडने की कला नही सुन पाये और सीख सके।
वास्तविकता चाहे भी जो रही हो, पर बुद्धी संगत बात तो यह है कि वह युद्ध मे अकेला पड गया था और यह बात – अभिमन्यु को अकेला डाल देना – दुश्मनों की (कोरवो की) सफल सफल रणनीति का ही नतीजा थी। कौरवों की यह रणनीति थी कि अर्जुन को एक योजना के तहत युद्धक्षेत्र से जान बूझकर इतनी दूर ले जाया जाये कि वह चाहते हुए भी अपने बेटे को बचाने के लिये समय पर नहीं पहुंच सके।यदि अर्जुन अभिमन्यु से दूर नहीं होते तो शायद कोई भी अभिमन्यु को मार नही सकता था। लेकिन अर्जुन दूर ले जाया गया, रणनीति सफल हुई और अभिमन्यु मारा गया।
आज के भारत मे भी फिर से महाभारत का युद्ध चल रहा है। युद्धक्षेत्र सजा हुआ है। अभिमन्यु मोदी जी हैं और उनको घेरने की पूरी तैयारी हो चुकी है ! कौन कहां खडा है?
कौरवों के योद्धा गण ये हैं: आप (केजरीवाल); कांग्रेस; सपा; बसपा; ममता; लालू; वांमपंथी; ओवेसी और पाकिस्तान समर्थक तत्व।
ये सभी अभिमन्यु के खिलाफ इकट्ठे हो गये हैं !!!
अब बस आखिरी रणनीति के तहत अर्जुन को इस अभिमन्यु से दूर रखना भर है। वह अर्जुन कौन है? वे हैं
तमाम हिन्दुऔ की जातियां ! उन्हे किसी भी बहाने आपस मे तोडना है, इकट्ठे नही होने देना है और रणक्षेत्र से दूर रखना है।
इस युद्ध का नया ताजा मोर्चा है: दिल्ली का 8 फरवरी का चुनाव और मुफ्त बिजली पानी के बहाने अर्जुन को अभिमन्यु से दूर रखना है।
अब ये आप पर निर्भर है कि आप अभिमन्यु को अकेला छोड़कर इस मोर्चे पर हारने के बाद पछताना चाहते हैं या उसके साथ खड़े रहकर उसे विजयी होते देखना!
यह हमारी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य का सवाल है !