दिनेश चन्द्र मिश्रा, एडवोकेट
पीढ़ियां गुजर गयीं पीढ़ियों से पूछते पूछते, … ऐसा होता है तो क्यों होता आया है?
इसके होते रहने में वर्तमान को … क्यों बकरा बनाया जाता है ॽ
दिवानगी किसी की कुछ कर गुजरने की … और दिवानगी से हजार सवाल होता है।
होता है, होता आया है … पीढी दर पीढी उत्तर विहीन है।
प्रश्नोत्तर परंपरा मे लचर कवच है … घराने की उत्तम अनुवांशिकता।
साल दर साल लगे इसे समझने मे … कदाचित यह तो कदाचार की पंघत है।
तो निर्णय की अपराधिता में … भावी पीढ़ी किस कदर रहबर हैॽ
मन की जीत के एहसासी पूर्वज को. … न मन मिला न मिला मनमीत,
गर्दन में लटकते शीले से घुटने हो रहे लहूलुहान … हारी हुई बाजी पर इंसानियत के लवादे डाल कर
वीतरागी तान पर सोता आया है … होता है, होता आया है।
प्रारब्ध के ब्रह्मास्त्र से. … हारे को हरिनाम लेता है, लेता आया है।
पूर्वजों की यही आन बान और शान, … पीढ़ी दर पीढ़ी हतप्रभ हैं आज की संतान।
पर कभी तो सबेरा होता है … होता है, होता आया है।
इतनी लम्बी भी थी रात … सबेरा आया है, तो सबेरा आया है।