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एक सच्ची घटना –मोदी के नेतृत्व का एक नया रूप

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प्रधान मंत्री मोदी जी एक आधिकारिक विदेश यात्रा के लिए अमेरिका रवाना होने वाले थे। अधिकारियों का एक समूह भी उनके साथ जा रहा था जिन्हें H1B Visa Issue तथा कई अन्य मुद्दों को लेकर अमेरिकी अधिकारियों के साथ Negotiate करना था। इस तरह के काम के लिये बहुत अनुभवी और एकाग्रचित भाव से काम करने वाले अधिकारियों की जरूरत होती है।

भारतीय अधिकारियों के उसी प्रतिनिधि मंडल में एक महिला अधिकारी भी शामिल थीं, जिनकी बच्ची काफी दिन से बीमार चल रही थी। परंन्तु, तत्कालीन समय में H1B Visa issue और WTO में अमेरिका-भारत मतभेद के कारण अधिकारियों की लगातार मीटिंग् पर मीटिंग हो रही थी। कार्य की इस व्यस्तता के कारण वह महिला अधिकारी अपनी बच्ची को समय नहीं दे पा रही थी।

अपनी बीमार बच्ची को समय न दे पाने पर एक माँ की व्याकुलता आप समझ ही सकते हैं। परंतु, वह कर्मठ अधिकारी देश सेवा के प्रति प्रतिबद्ध थी। इसी कारण से वह अफसर अपनी व्याकुलता को अपने ह्रदय में दूर कहीं दबाये, पूरी निष्ठा के साथ अधिकारी के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रही थी।

बताते हैं कि मोदी जी की खासियत है कि अपने साथ काम करने वाले अधिकारियों के मनोभावों को वे बड़ी जल्दी पकड़ लेते हैं। जब वह महिला अधिकारी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के सिलसिले में मोदी जी से मिली तो उन्होंने उस अफसर के चेहरे को देख कर उसकी असहजता भांप ली। जब उस अफसर की असहजता का कारण पूछा तो अफसर ने ये कह कर बात टाल दी कि “विदेश यात्रा को लेकर थोड़ी nervous हूँ”।

उस यात्रा में कई गंभीर विषयों पर Noegotiations होने वाले थे और वह अफसर देश हित को छोड़, अपनी बेटी की देख-रेख पर समय व्यतीत नहीं करना चाहती थी। इसलिए उसने मोदी जी से झूठ बोल दिया था।

पर अपने अधिकारियों की काबिलियत को अच्छे से समझने वाले मोदी जी को संतुष्ट करने के लिए वह बहाना पर्याप्त नहीं था। अतः उन्होंने उस अफसर को बुला कर पुनः कारण जानने की कोशिश की और पुनः  उन्हें वही उत्तर मिला।

मोदी जी को शंका हुई और उन्होने उस अफसर के साथ काम करने वाले अन्य अधिकारियों से बात की और सारी जानकारी प्राप्त की।

कुछ देर बाद, मोदी जी ने उस महिला अधिकारी को अपने ऑफिस में बुलाया और कहा “आपका Anxiety Level संभवतः बहुत बढ़ गया है। हॉस्पिटल जा कर चेक अप करवाइये और उसका रिपोर्ट प्रिंसिपल सेक्रेटरी को सबमिट कीजिये”।

ऐसा विचित्र आदेश पा कर, वह अधिकारी पास के ही हॉस्पिटल गयी। पहले से व्याकुल उस अफसर ने हॉस्पिटल में प्रवेश किया। मन अभी भी पुत्री की चिंता में लीन था। पर हॉस्पिटल में उन्होंने जो देखा उसने उनके चिंता रूपी चक्रव्यूह को तोड़ कर रख दिया। वहाँ उन्होंने अपनी बेटी को देखा जो बेड पर लेटी हुई थी और उसके आस-पास भारत के प्रिंसिपल सेक्रेटरी, नृपेंद्र मिश्रा समेत PMO के तमाम बड़े अधिकारी खड़े थे। यह सब देख कर उन महिला अधिकारी का अपनी भावनाओं पर से नियंत्रण टूट गया और उनकी आँखे छलक आईं। अपनी पुत्री को गले लगा कर वह इस प्रकार से रो पड़ी मानो सदियों का इंतज़ार किया हो उससे मिलने के लिए। अभी उनके अश्रुओं पर विराम लगा नही था कि कुछ समय बाद मोदी जी का उन अधिकारी को फ़ोन आया। मोदी जी को शुक्रिया करते हुए उनका प्रफुल्लित मन शान्त ही नहीं हो रहा था।

हुआ ये था कि मोदी जी ने अधिकारियों को बोल कर उस बच्ची को अस्पताल में भर्ती करवाया तथा चेक अप का बहाना बना कर महिला अधिकारी को उनकी पुत्री से मिलने भेजा। यह एक वास्तविक घटना है।

इस घटना से स्पष्ट हो जाता है कि मोदी जी केवल पद से ही नेता नहीं है, बल्कि कार्यों से भी एक नेता/नेतृत्वकर्ता हैं। केवल मीठे-मीठे भाषण देने वाला सच्चा नेता नहीं होता। एक सच्चा नेता वह होता है जो अपने साथ कार्य करने वाले समूह को समझे-जाने, उनके कष्टों और काबिलियातों को जाने और सबको साथ लेकर चले। ये समस्त गुण मोदी जी में हैं तभी वे एक मामूली चाय वाले और संघ प्रचारक से भाजपा के एक प्रभावशाली नेता, गुजरात के मुख्यमंत्री तथा देश के प्रधानमंत्री बने। और न केवल देश के प्रधानमंत्री बने बल्कि देश भर से अपार प्रेम भी प्राप्त किया। यह प्रेम उन्हें उनके महांन व्यक्तित्व और सद्कार्यों के कारण ही मिला है।

ऐसा व्यक्ति, ऐसा नेता, ऐसा प्रधान मंत्री किसी देश को सोभाग्य से ही मिलता है, खासतोर से आज के इस जमाने में जहां चारो तरफ इतनी अधिक गिरावट है।


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