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नेहरू की शरारत –जिनका खमियाजा भारत आज भुगत रहा है

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नेपाल आज भारत का हिस्सा होता

1951 में नेपाल के तत्कालीन महाराजा ‘ त्रिभुवन ‘ ने नेहरू से कहा कि वो नेपाल का विलय भारत में करवाने को तैयार है, आप चाहें तो नेपाल भारत का हिस्सा बन सकता हैं, लेकिन दुर्भाग्य से नेहरू ने उनका ऑफर ठुकरा दिया.
( संदर्भ – Rediff News – https://bit.ly/2yx4KYu )_
(संदर्भ – The Hindu – https://bit.ly/2tfX5c9 )(संदभॆ-Patrika – https://wp.me/pa4Tl7-1k )

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बलुचिस्तान आज भारत का हिस्सा होता

1948 में बलुचिस्तान के नवाब ‘ खान ‘ ने बलुचिस्तान का भारत में विलय कर लेने की बात नेहरू से कही और अॅसेशन लेटर बिना शर्त नेहरू को भेजा, बदकिस्मती से नेहरू ने ये ऑफर ठुकराया. इस के कुछ ही दिनों बाद पाकिस्तान ने बलुचिस्तान पर जबरदस्ती कब्जा किया।
(संदर्भ – Dailymail, England – https://dailym.ai/2K7s9kK )

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पाकिस्तान का ग्‍वादर बंदरगाह आज भारत का होता

ओमान ने 1947 में ग्‍वादर बंदरगाह भारत को ले लेने की पेशकश की थी लेकिन नेहरू ने इससे इन्कार कर दिया. बाद मे ओमान ने ग्‍वादर बंदरगाह पाकिस्‍तान को बेच दिया. आज पाकिस्‍तान ने ग्‍वादर बंदरगाह चीन को दिया है, जहाँ से चीन भारत की नेवल अॅक्टिवीटी पर नजर रखता है, हाल ही में पाकिस्‍तान ने भारतीय व्यापारी कुलभूषण जाधव को ग्‍वादर बंदरगाह पर ही पकडा था.
( Daily News – https://bit.ly/1W5mOwD )

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भारत का कोको आइसलैंड चीन के पास गया

1950 में नेहरू ने भारत का कोलकाता से नजदीक ‘ कोको द्वीप समूह जो अंदमान का हिस्सा है उसे बर्मा को गिफ्ट दे दिया. बर्मा ने उसे चीन को दे दिया, जहाँ से आज चीन द्वारा भारत की मरींन्स पर हेरगीरी होती है. गूगल मैप में कोको द्वीप समूह देखने पर चीन द्वारा बनाया गया मिलट्री बेस तथा हवाई धाव पट्टी साफ दिखती है.

( Google Map location, COCO Iceland – https://goo.gl/maps/Rm7q1thEyzT2 )_
( संदर्भ – https://bit.ly/2K94wbz )
( संदर्भ – https://bit.ly/2tgyS5b )

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काबू व्हेली भारतसे अलग हो गई

1954 को भारत के मणिपुर प्रांत की काबू व्हेली नेहरू ने मणिपुरी लोगों के विरोध के बावजूद बर्मा को गिफ्ट कर दी, काबू व्हेली लगभगा 11000 वर्ग कि.मी बडी है और यह कश्मीर जैसी खूबसरत है, एक समय में ‘Jewel of Manipur’ के नामसें काबू व्हेली जानी जाती थी, बदकिस्मती से आज इसे हम खो चुके हैं.
( संदर्भ – https://bit.ly/2tfbJ3j )

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हैदराबाद की जगह आज दक्षिण पाकिस्तान होता

हैदराबाद के निज़ाम हैदराबाद को पाकिस्तान का हिस्सा बनाना चाहते थे. एक बार नेहरु विदेश गए, सरदार पटेल ने सेना के आपरेशन पोलो के तहत हैदराबाद पर चढाई की और 13 सितंबर 1948 को हेदराबाद मुक्त किया.

उसी वक्त नेहरु वापस आ रहे थे अगर वो आते तो विलय न होता इसलिए पटेल ने नेहरु के विमान को उतरने न देने का हुक्म दिया, निजाम ने विलय पर हस्ताक्षर किए, उसके बाद नेहरु का विमान उतारा गया. पटेल ने नेहरु को फ़ोन किया और कहा ” हैदराबाद का भारत में विलय हुआ ” ये सुनते ही नेहरु ने फ़ोन वही पर पटक दिया.
( Reference – https://bit.ly/2K5q0sS )

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सरकारी विमानों का दुरुपयोग

एक बार जवाहरलाल नेहरू भोपाल के दौरे पर थे. राजभवन में यह पता चला कि नेहरू की फेवरेट ब्रांड 555 सिगरेट भोपाल में नहीं मिल रही है. यह पता चलते ही भोपाल से इंदौर एक स्पेशल विमान भेजा गया, इंदौर एयरपोर्ट पर सिगरेट के कुछ पैकेट पहुंचाए गए और विमान सिगरेट के पैकेट लेकर वापस भोपाल लौट आया, इस घटना का जिक्र मप्र राजभवन की वेबसाइट पर है.
( Dainik Bhaskar – https://bit.ly/2ts2Z94 )

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न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप ( NSG ) का भारत सदस्य होता

भारत की आजादी के तुरंत बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी ने भारत को न्युक्लियर टेस्ट के लिए मदद का प्रस्ताव दिया था. लेकिन  प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने उस ऑफर को ठुकरा दिया था. यदि भारत ने वह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया होता तो भारत न्युक्लियर टेस्ट करने वाला पहला एशियाई देश बन जाता. इसके साथ ही भारत NSG मेंबर आराम से बन जाता. आज आजादी के 70 साल बाद भी चायना के विरोध के बावजूद हमको दुनिया भर में घूमकर NSG के लिए लॉबिंग करनी पड़ रही है.

( संदर्भ – NDTV – https://bit.ly/2I7ib0R )
( संदर्भ – Zee News – https://bit.ly/2tgOJAJ )

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विदेश नीति पर भारी तुष्टिकरण की राजनीति

महान ज्यू सायंटिस्ट आईनस्टाइन ने पंडित नेहरू को एक खत लिखा था जिसमें ज्यु लोगों पर हो रहे अत्याचारों का जिक्र कर ईजरायल के स्वतंत्र देश बनने को सपोर्ट करने को कहा… लेकिन मुस्लिमों के दबाव में नेहरू ने करीब एक महीने तक खत का जवाब नहीं दिया, फिर जवाब देते हुए नेहरु ने स्वतंत्र ईजरायल देश को सपोर्ट करने की मांग को नकार दिया और UN में इजरायल स्वतंत्र राष्ट्र बनने के खिलाफ वोटिंग की…. ऐसी तुष्टिकरण की राजनीति करके ईजरायल को हमने दूर किया, ईजरायल से माॅडर्न मिलट्री तथा कृषि तंत्र ज्ञान पाने के बेहतरीन मौके हमने गवां दिये.
(संदर्भ – Indianexpress – https://bit.ly/2ln2IAM )
( संदर्भ – Theguardian – https://bit.ly/2tnLvLa )

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आज भारत UN का स्थायी मेंबर होता

1950 में अमेरिका ने भारत को सुरक्षा परिषद (United Nations) में स्थायी सदस्य के तौर पर शामिल होने को कहा, लेकिन भारत की बजाय नेहरू ने चीन को UN में लेने की सलाह दे डाली. अमरीका और रशिया ने 1955 में और एक बार नेहरू को UN में परमानैंट मेमबर के तोर पर आने की पेशकश की लेकिन बदकिस्मती से दूसरी बार भी नेहरु ने आॅफर ठुकरा दिया.

यही चीन आज भारत के कई प्रस्ताव UN में नामंजूर कर चुका है. हाल ही मे उसने दहशतगर्द मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने का भारतीत प्रस्ताव वीटो कर उसे बचाया है.
( संदर्भ – Washington Post – https://wapo.st/2ysANsH )
( संदर्भ – https://bit.ly/1qM64xp )

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पवित्र तीर्थस्थान कैलाश मानसरोवर खो देना

1962 के चीन के साथ युद्ध के पराजय जानने हेतू भारत सरकार द्वारा गठित समिति जिसमे लेफ्टिनेंट जनरल हेंडरसन ब्रुक्स और मिलिट्री कमांडर ब्रिगडियर पी. एस. भगत थे उन्होंने भी नेहरु और उनकी कायर नीतियों को 1962 के युद्ध के हार का जिम्मेदार ठहराया.

युद्ध हार स्वरूप हमारा लगभग 14000 वर्ग किमी भाग चीन ने ले लिया. इसमें कैलाश पर्वत, मानसरोवर और अन्य स्थान आते हैं. नेहरू पर सवाल उठने लगे तब उन्‍होंने जवाब देते हुए कहा था “ कैलाश मानसरोवर का देश के लिए कोई महत्‍व नहीं है क्‍योंकि वहां घास का एक तिनका भी नहीं उगता ! ”
( संदर्भ – Zee News – https://bit.ly/2tsLCVA )
( संदर्भ – Jagran – https://bit.ly/2I9tWE2 )
( संदर्भ – DNA INDIA – https://bit.ly/2lpCTjs )

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कश्मिर प्राॅब्लेम व धारा 370

अक्तूबर 1947 को पाकिस्तानी कबाइली सेना कश्मिर में घुस गई, सरदार पटेल ने कश्मिर के महाराजा को मदद के बदले कश्मिर भारत मे विलय करने की शर्त रखकर कश्मिर में भारतीय सेना भेजी गई. जब भारत की सेनाएं पाकिस्तानी सेना को खदेड़ ही रही थीं कि नेहरू ने बीच में रेडियो पर युद्ध विराम घोषित कर सैन्य बल वापस बुला लिया. जिसके कारण कश्मीर का एक तिहाई भाग (POK) पाकिस्तानी सेना के पास रह गया.

इसके बाद नेहरू ने संविधान में धारा 370 जुड़वा दी, इसमें कश्मीर के लिए अलग संविधान हो गया, जिससे कश्मीर जाने के लिए परमिट की अनिवार्यता हो गई तथा गैर कश्मीर लोग कश्मीर में कोई प्राॅपर्टी नही खरीद सकते है, और भारत का कोई भी कानून यहां की विधान सभा द्वारा पारित होने तक कश्मीर में लागू नहीं होता
( Rediff News – https://bit.ly/2MNuOSm )
( Frontline – https://bit.ly/2JXBNtU )

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